यूपी के कुशीनगर ( Kushinagar) जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों का एक और बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें एक निजी नर्सिंग होम में प्रसूता की मौत हो गई। हाटा के सिंह मैक्स हॉस्पिटल में डॉक्टर की लापरवाही के कारण 25 वर्षीय सुमन की जान चली गई, जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। यह घटना स्वास्थ्य व्यवस्था और निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
कैसे हुई घटना?
कुशीनगर ( Kushinagar) के हाटा नगर के वार्ड नंबर 17 निवासी 25 वर्षीय सुमन को प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिवार ने उसे सिंह मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया। परिजनों के अनुसार, ऑपरेशन के द्वारा बच्ची का जन्म हुआ और बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ थी। लेकिन कुछ ही घंटों बाद डॉक्टरों ने बताया कि सुमन की हालत अचानक बिगड़ गई। परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों ने उसे उचित इलाज नहीं दिया और स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई।
परिजनों का कहना है कि अस्पताल में उन्हें सुमन को देखने तक की अनुमति नहीं दी गई और जब स्थिति बिगड़ी, तो अस्पताल के डॉक्टर ने उसे गोरखपुर एंबुलेंस में भेज दिया। बाद में परिजनों को सूचित किया गया कि सुमन की मौत हो गई है।
अस्पताल संचालक और स्टाफ फरार
प्रसूता की मौत की खबर फैलते ही परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया। स्थिति को बिगड़ता देख सिंह मैक्स अस्पताल के संचालक और स्टाफ ने ताला लगाकर अस्पताल छोड़ दिया और फरार हो गए। पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाकर शांत किया। इसके बाद, परिजन हाटा कोतवाली पहुंचे और अस्पताल के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
सख्त कार्रवाई की मांग
परिजनों ने सिंह मैक्स हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए डॉक्टर की लापरवाही की जांच की अपील की है। कोतवाली पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग पर सवाल
इस घटना ने हाटा के निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण जिले में ऐसे अस्पताल चल रहे हैं, जहां इलाज के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों के पास पर्याप्त योग्यता और प्रशिक्षण नहीं है। यह मामला स्वास्थ्य विभाग की ओर से उचित निगरानी की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर उठते सवाल, मरीजों के जीवन के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। अगर समय रहते इस तरह के निजी अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं बढ़ सकती हैं।