खिरिया बाग (कप्तानगंज)आजमगढ़। जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में खिरिया बाग का धरना 650वें दिन भी जारी रहा। धरने में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पेश पहले बजट पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को जनता ने जो झटका दिया उससे उम्मीद लगायी जा रही थी कि सरकार बीते 10 वर्षों के शासन के कुछ उलट चल जनता का खोया भरोसा जीतने का कुछ प्रयास करेगी। मोदी शासन के 10 वर्षों में देश के बड़े पूंजीपतियों के मुनाफे को बढ़ाने के लिए जनता पर एक के बाद एक हमले जैसे नोटबंदी, जीएसटी, तीन कृषि काले कानून,चार श्रम संहिता, विस्थापन थोंप दिये थे। हालांकि 2024 के चुनाव में हुई फजीहत का बजट पर इतना असर जरूर हुआ है कि बजट में बेरोजगारों के नाम पर कई योजनायें, कृषि कल्याण की बातें करते हुए बिहार के नाम पर कई योजनायें घोषित हुई हैं। पर चालाकी यहां भी यह दिखाई देती है कि इन योजनाओं से बेरोजगारों-किसानों के बजाय भला बड़े पूंजीपतियों का ही होना है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 के लिए कुल 46.80 लाख करोड़ रु. के बजट को पेश किया। किसान कल्याण का नारा देने वाली सरकार दरअसल किसानों की पीठ में छुरा घोंपने में जुटी है। खाद पर बीते वर्ष 1.88 लाख करोड़ की सब्सिडी को सरकार ने घटा कर नये बजट में 1.64 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसका परिणाम और महंगी खाद के रूप में किसानों को झेलना पड़ेगा जो उनकी दुर्दशा को और बढ़ायेगा। सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन का खूब ढिंढोरा पीटती है पर खाद्य मद में भी वह सब्सिडी घटाने के चक्कर में है। गत वर्ष 2.12 लाख करोड़ रु. के खर्च को घटा वह इस वर्ष 2.05 लाख करोड़ की सब्सिडी देने का प्रावधान करती है। पेट्रोलियम पर सब्सिडी भी वह गत वर्ष के 12240 करोड़ से घटा 11925 करोड़ करना चाहती है। कृषि की मद में सरकार के ‘किसान हितैषी’ दावे की पोल इसी से खुल जाती है कि सरकार ने गत वर्ष इस हेतु आवंटित 1.44 लाख करोड़ रु. की राशि पूरी खर्च ही नहीं की। अब इस वर्ष इसे नाम मात्र का बढ़ाकर (जो मुद्रास्फीति को ध्यान में रखें तो वास्तव में कटौती ही है) 1.51 लाख करोड़ कर दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी गत वर्ष आवंटित 1.16 लाख करोड़ रु. में सरकार ने लगभग 8000 करोड़ रु. खर्च ही नहीं किये। अब इसे नाममात्र का बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ इस वर्ष किया गया है। यही हाल स्वास्थ्य मद का है जहां गत वर्ष आवंटित 88,956 करोड़ रु. में लगभग 9600 करोड़ रु. सरकार ने खर्च ही नहीं किये अब आगामी वर्ष हेतु 89,287 करोड़ रु. स्वास्थ्य खर्च का बजट रखा गया है। शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की बेरुखी इस कदर है कि एक ओर हर वर्ष लाखों छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। लाखों लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं पर सरकार अपनी तय राशि भी इन मदों पर खर्च को तैयार नहीं है। उदारीकरण-वैश्वीकरण का रथ इस बजट में भी सरपट दौड़ाया गया है। तमाम क्षेत्रों में विदेशी निवेश की छूटें बढ़ायी गयी हैं। विदेशी पूंजी के आगमन पर रोकें हटायी गयी हैं। मध्यम वर्ग के आयकर के स्लैबों में वित्तमंत्री ने नाम मात्र का बदलाव कर उन्हें निराश ही किया है। उन्हें उम्मीद थी कि बढ़ती महंगाई में सरकार उन पर कर भार काफी कम करेगी। पर सरकार ने उनकी उम्मीदें नहीं पूरी की। गठबंधन पर टिकी बैशाखी सरकार ने नीतिश, नायडू को खुश करने के लिए उनके राज्यों में रेल, सड़क, पुल, कालेजों की कई घोषणायें जरूर की हैं। कुल मिलाकर यह बजट भी जनता-बेरोजगारों का नाम जपते हुए पूंजीपतियों की लूट बढ़ाने वाला बजट ही रहा। इसीलिए शेयर बाजार शुरूआती हिचकोले के बाद फिर से ऊपर चढ़ अपनी खुशी का इजहार कर रहा है। धरना को रामनयन यादव, दुखहरन राम,रामकुमार यादव, राजेश आज़ाद,रामराज, रामाश्रय यादव, सूबेदार यादव, दान बहादुर मौर्य,टेकई, फूलमती,रेखा,विद्या, सुशीला, सुनीता,नकछेद राय, हरिहर प्रसाद, बैरागी, रामचंद्र, सीताराम , निर्मल,बेचन,रामशब्द निषाद, लाल जी आदि लोगों ने संबोधित किया। आज की अध्यक्षता चंदीराम और संचालन रामशबद निषाद ने किया।