*बलिया के लाल का कमाल*आईंआई टी के स्टार्टप में तैयार किया स्वदेशी कीट अक्सीसेन्स, देगी ऑक्सीजन की शुद्धता की रिपोर्ट*
Category Technology
Publish Date: 23-03-2024
बलिया। अगर मन में हौसला और लगन हो तो कोई भी मंजिल हासिल करना मुश्किल नहीं है, मंजिल हासिल करने की कमी उन लोगों के लिए बाधा है जिनमें कड़ी मेहनत करने की इच्छाशक्ति की कमी है. जो लोग हमेशा अपनी मंजिल पर नजर रखते हैं उनके सामने कमी कभी आड़े नहीं आती. इस बात को साबित किया है तिवारी के मिल्की निवासी रमेश तिवारी के बेटे प्रियरंज तिवारी ने। प्रियरंजन ने एक खास किट तैयार किया है जिससे इलाज के दौरान मरीजों की जान बचाने के लिए दी जाने वाली ऑक्सीजन शुद्ध है या अशुद्ध इसकी जानकारी आक्सीज प्यूरिटी मीटर देगा।आई आई कानपुर और कानपुर विश्विद्यालय में इन्क्यूबेटेड कंपनी मेदान्तरिक ने यह मीटर बनाया है।इस मीटर को बनाने वाले प्रियरंजन तिवारी ने बताया की
एक खास किट की विशेषता यह है की नामांकन पत्र में भरी ऑक्सीजन सामग्री शुद्ध है। इस मिश्रण में उत्पादी गैस की वजह से किसी मरीज की जान नहीं जाएगी। साथ ही गैस खत्म होने के साथ ही लेटलतीफ किट भी अलग हो जाएगी, जिससे पहले ही पैरा मेडिकल स्टाफ की जानकारी मिल जाएगी। प्रियराजन तिवारी ने इसका नाम ऑक्सीजन प्योरिटी मीटर रखा है। प्रियराजन ने बताया कि यह उपकरण पूरी तरह से स्वदेशी और कम कीमत का है। यह पहला पोरिटी मीटर है, जिसे मेडिकल में ध्यान रखा गया है। पहले ये मेट्रिक्स में इंस्टीट्यूट की कोकिले को देखते हुए तैयार किया जा रहा है।प्रियरंजन ने बताया कि 2020 में जब कोरोना का संक्रमण फैला और प्लास्टिक ऑक्सीजन की व्यवस्था हुई तो लोगों ने उद्योगों में प्रयोग शुरू कर दिया। तब एक बड़ा सवाल ऑक्सीजन कितनी शुद्ध है, इसे कैसे खत्म किया जाए। इसी प्रश्न के बाद प्रियरंजन ने शोध शुरू किया। करीब एक साल की समीक्षा के बाद सफलता मिली।
जीएसवीएम सहित 12 अस्पतालों में चल रहा है ट्रायल
प्रियजन ने बताया कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ठिकानों पर स्थित पुणे, मुंबई, दिल्ली, जीएसवीएम सहित 12 अस्पतालों में ट्रायल चल रहा है। यह उपकरण का अंतिम लक्ष्य है। इसके बाद यह बाजार में उपलब्ध होगा।
काफी सस्ता है किट
प्रियराजन ने बताया कि इस किट की कीमत महज 30 हजार रुपये है। ऑक्सीजन की पत्रिका की जांच करने वाली मशीन की कीमत एक लाख रुपये से अधिक है, जिसमें शामिल दस्तावेजों में बताया जा रहा है।
प्रमुख तथ्य
- कोरोना संक्रमण के दौरान शुरू हुई रिसर्च
- एक साल में पूरी तरह से बढ़ी रिसर्च, कीमत 30 हजार
- 12 यूनिट में चल रहा है ट्रायल
- ऑक्सीजन के रिसर्चर ने कहा, गैस खत्म हो रही है पर
अभी तक विदेशी रिसर्चर उद्योग को ध्यान में रखते हुए बनी रही