तोहके देई कवन गारी, अनीता राज की इस रचना को एक बार अवश्य पढ़ें
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Publish Date: 17-06-2024
( तोहके देई कवन गारी )
हमहन के फूँक के अपने करेला रंगदारी ,
बदरू दहिजरू तोहके , देई कवन गारी ।।।
फ़जीहत में परान अपने फुरसत में जियेला ,
लागे ना सरमिया इज्जत घोरी के पियेला ।
लाज ना लिहाज के , करेला समझदारी ।।
बदरू दहिजरू तोहके , देई कवन गारी ।।।
छियालीस के डीगरी प हमके सधावेला ,
कोयला नियर भूंज के शेखी बघारेला
छेदे घाम देहियाँ में , तलवार दुई धारी ।।
बदरू दहिजरू तोहके , देई कवन गारी ।।।
छोड़ाई देब अइठन तनी भुइयां उतर जा ,
चेतावेनी"अनीता"देव अभियों सुधर जा ।
देइके दरखास केस , लगाइ देब भारी ।।
बदरू दहिजरू तोहके , देई कवन गारी ।।।
देवी माई के देहब तोहे दहिजरू क नाती ,
ओखरी में कूट देहब अइबा कहियों दाती ।
चूल्हिया में झूंक मुंह झंऊसू तोहे जारी ।
बदरू दहिजरू तोहके , देई कव गारी ।।।।
धरती पियासल हाँफे असों के असढ़़वा ,
प्रेम बूँद सवाति के चुवावा हो बदरवा ।
दशों नह जोरी ,"अनीता" रहिया निहारी ,
बदरू दहिजरू तोहके , देई कवन गारी ।।
हमहन के फूँक के ,अपने करेला रंगदारी ।।
बदरू दहिजरू तोहके , देई कवन गारी ।।।
(अनीता राज)